उत्तर प्रदेश मे इस Ring Road का हो रहा विरोध, किसानों ने उठाई हक की आवाज
पिछले सप्ताह प्राधिकरण द्वारा सड़क का निर्माण शुरू होने पर संबंधित क्षेत्र मे काश्तकारों ने विरोध शुरू कर दिया था। इसके चलते सरकार को काम रोकना पड़ा। जीडीए के अधिकारियों ने सभी को दो दिन के भीतर जमीन से संबंधित अपने राजस्व अभिलेख प्रस्तुत करने की मोहलत दी थी। साथ ही उन्हे अभिलेख नहीं प्रस्तुत करने के प्रणाम स्वरूप अधिकरण के काम को वापस शुरू होने की चेतावनी भी दी थी। और विरोध करने वालो पर सख्त कार्रवाई भी होगी।
Gorakhpur Ring Road:
रामगढ़ताल किनारे सहारा एस्टेट से मोहद्दीपुर स्थित स्मार्ट व्हीलतक प्रस्तावित रिंग रोड को लेकर महादेव झारखंड के 20 से अधिक काश्तकारों ने बुधवार को जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा। उनका आरोप है कि रिंग रोड को उनकी जमीन पर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की सीमा क्षेत्र में पड़ने वाले हाईवे और रिंग रोड के किनारे अब रहने के लिए कोई घर नहीं बना सकेगा। तीन सौ मीटर तक का यह क्षेत्र हाईवे फेसेलिटी जोन कहलाएगा।
यहां खेती की जा सकेगी या फिर वेयर हाउस, पेट्रोल पंप, असप्ताल, होटल, मोटल, रिसार्ट और स्कूल आदि गतिविधियां संचालित की जा सकेंगी। नई महायोजना में हुए इस बदलाव को लेकर कई लोगों में नाराजगी है तो कुछ खुश भी हैं। लोगों को हाईवे फेसेलिटी से ज्यादा आपत्ति मुख्य मार्ग से सटे 30-30 मीटर के बफर जोन और 18 मीटर के सर्विस लेन के लिए आरक्षित की गई जगह को लेकर है। उनका कहना है कि इससे उनकी कीमती जमीन उनके हाथ से चली जाएगी।
ऐसे में प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा दिया जाए फिर ताल की तरफ गिट्टी डालकर सड़क बनाए। उपाध्यक्ष ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जो भी कार्यवाई होंगी वह नियमो के आधार पर ही होगी। किसी का हित नहीं प्रभावित होने दिया जाएगा।
अधिकारियो द्वारा चेताए जाने के बाद काश्तकार जीडीए उपाध्यक्ष से मिलकर ज्ञापन देने पहुंचे थे। उनका कहना था कि रामगढ़ ताल के किनारे प्रस्तावित सड़क महादेव झारखंडी स्थित उनकी जमीन पर बनाने की तैयारी है। ज्यादातर स्थानों पर हाईवे और रिंग रोड के दोनों तरफ तो कुछ स्थानों पर सिर्फ एक तरफ पहले 30-30 मीटर की चौड़ाई में बफर जोन यानी हरित पट्टी रहेगी। इसके बाद 18-18 मीटर का सर्विस लेन और फिर 282 मीटर में हाईवे फेसेलिटी जोन घोषित किया गया है। इस जोन काे कृषि भू-उपयोग का ही भाग माना जाएगा।
इसके चलते लोगो का कहना है जब भी उनकी जमीन की पैमाइश हुई है। हर बार जमीन बंधे और ताल में निकली है। उन्हे भरोसा है की सड़क का निर्माण उन्ही की जमीन मे करने की तय्यारी हो रही है।और उन्हे मुआवजा ना मिलने का भी डर है ।लोगो ने कहा है की सड़क का निर्माण किया जाए लेकिन उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा भी मिले । ऐसा नहीं हुआ तो वे कोर्ट जाएंगे।और अपने हक के लिए लड़ेगे।